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Game Change : त्वरित मनोरंजन के लिए तैयार की गई मजेदार पेशकश

Game Change
Game Change : त्वरित मनोरंजन के लिए तैयार की गई मजेदार पेशकश

निर्देशक शंकर की नई फिल्म ‘गेम चेंजर’ में राम चरण और एसजे सूर्या के बीच दिलचस्प दृश्य और संवाद हैं, लेकिन जल्दबाज़ी भरी कहानी भावनात्मक गहराई को छूने में विफल रहती है। प्री-रिलीज़ प्रमोशनल इवेंट में, शंकर ने बताया कि कैसे उनकी फिल्म आज के दर्शकों की घटती ध्यान अवधि को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इसकी वजह से ढाई घंटे 45 मिनट लंबी यह फिल्म इंस्टाग्राम रील्स जैसी तेज़-तर्रार लगती है, जिसमें एक के बाद एक घटनाएं जुड़ती जाती हैं।

Game Change
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क्या यह फिल्म मनोरंजक है? हां, काफी हद तक। क्या राम चरण और एसजे सूर्या के बीच टकराव दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं? बिल्कुल, कुछ संवाद और दृश्य तालियों के काबिल हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह फिल्म या इसके दृश्य समय की कसौटी पर खरे उतरेंगे?


फिल्म की कहानी और निर्देशन

‘गेम चेंजर’ की कहानी निर्देशक शंकर ने कार्तिक सुब्बाराज के साथ मिलकर लिखी है। फिल्म में भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और बेहतर शासन जैसे विषय हैं, जिन्हें शंकर 1990 के दशक से अपनी फिल्मों में उठाते आए हैं।
राम नंदन (राम चरण) नाम का किरदार एक सिविल सर्वेंट की भूमिका में है, जो समाज में स्वच्छता लाने की कोशिश करता है। यह किरदार चुनाव आयोग की भूमिका को भी उजागर करता है।

फिल्म की शुरुआत बेहद दमदार तरीके से होती है। एक उम्रदराज़ राजनेता को उसके पुराने गुनाह सताते हैं। हालांकि कहानी अनुमानित दिशा में बढ़ती है, लेकिन इसे प्रस्तुत करने का तरीका दर्शकों को बांधे रखता है।

परिवार और राजनीति का टकराव

फिल्म में पारिवारिक राजनीति को केंद्र में रखा गया है। सत्य मूर्ति (श्रीकांत) के दो महत्वाकांक्षी बेटे, मुनि माणिक्य (जयराम) और बोंबिली मोपिदेवी (एसजे सूर्या), सत्ता की लालसा में आपस में भिड़ते हैं। कहानी का मुख्य भाग आंध्र प्रदेश की राजनीति पर आधारित है। विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम और विजयनगरम जैसे इलाकों का उल्लेख किया गया है, जबकि हैदराबाद का जिक्र नहीं किया गया है, शायद तेलुगु राज्यों के विभाजन (2014) से बचने के लिए।


राम चरण का दमदार प्रदर्शन

फिल्म की जान वह भाग है जिसमें राम चरण दोहरी भूमिका निभाते हैं। इनमें से एक किरदार, अप्पन्ना, एक साधारण व्यक्ति है, जो पैसे के प्रभाव से मुक्त शासन की वकालत करता है। यह किरदार हकलाने की समस्या से जूझता है, जिसे राम चरण ने बखूबी निभाया है।

अप्पन्ना और उनकी पत्नी पार्वती (अंजलि) की कहानी फिल्म के भावनात्मक हिस्से को मजबूत बनाती है। हालांकि यह कहानी ज्यादा जटिल नहीं है, लेकिन इसकी भावनात्मक गहराई इसे खास बनाती है। अंजलि का अभिनय इस फिल्म का मुख्य आकर्षण है। उनके भावनात्मक दृश्य और प्रभावशाली उपस्थिति दर्शकों को जोड़कर रखती है।


फिल्म की खामियां

फिल्म का दूसरा भाग अपेक्षाकृत कमजोर है। राम नंदन और बोंबिली मोपिदेवी के बीच टकराव के दृश्यों में दोहराव है। कई सहायक किरदार जैसे सुनील, जयराम, राजीव कनकाला, वेंनेला किशोर और सत्य के पास ज्यादा करने का मौका नहीं है।

कियारा आडवाणी का किरदार भी बहुत कमज़ोर लिखा गया है। उनके हिस्से में कुछ ही महत्वपूर्ण दृश्य हैं।

फिल्म का अंतिम भाग लंबा और थकाने वाला है। क्लाइमेक्स का एक्शन ओवर-द-टॉप है, जो दर्शकों को निराश कर सकता है।

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तकनीकी पक्ष

थमन का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की थीम से मेल खाते हैं। लेकिन गाने यादगार नहीं हैं। सिनेमैटोग्राफी के लिए तिर्रु की तारीफ होनी चाहिए। भव्य दृश्यों से शंकर की फिल्मों की खासियत झलकती है।


निष्कर्ष

‘गेम चेंजर’ एक अच्छी मनोरंजक फिल्म है, लेकिन यह शंकर की पुरानी फिल्मों के मुकाबले कमजोर है। इसमें ‘जेंटलमैन’, ‘भारतीय’, ‘शिवाजी’ और ‘रोबोट’ जैसी फिल्मों की गहराई और यादगार क्षणों की कमी है। शंकर को अब खुद को नए तरीके से पेश करने की जरूरत है।


10 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
  1. ‘गेम चेंजर’ की कहानी क्या है?
    यह फिल्म एक सिविल सर्वेंट राम नंदन की कहानी है, जो समाज से भ्रष्टाचार खत्म करने का प्रयास करता है।
  2. राम चरण का अभिनय कैसा है?
    राम चरण ने दोहरी भूमिका निभाई है और उनका प्रदर्शन बेहतरीन है, खासकर अप्पन्ना के किरदार में।
  3. फिल्म में मुख्य नकारात्मक भूमिका कौन निभा रहा है?
    एसजे सूर्या ने बोंबिली मोपिदेवी की भूमिका निभाई है, जो मुख्य खलनायक है।
  4. फिल्म का निर्देशन कैसा है?
    शंकर का निर्देशन तेज़-तर्रार है, लेकिन यह भावनात्मक गहराई से कमजोर पड़ता है।
  5. फिल्म का मुख्य आकर्षण क्या है?
    राम चरण और अंजलि का अभिनय, पारिवारिक राजनीति और भावनात्मक कहानी फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं।
  6. फिल्म का संगीत कैसा है?
    थमन का संगीत फिल्म के मूड से मेल खाता है, लेकिन गाने खास नहीं हैं।
  7. क्या यह फिल्म परिवार के साथ देखी जा सकती है?
    हां, यह एक पारिवारिक फिल्म है।
  8. फिल्म की कमजोरियां क्या हैं?
    कमजोर सहायक किरदार, लंबा क्लाइमेक्स और भावनात्मक जुड़ाव की कमी इसकी कमजोरियां हैं।
  9. फिल्म कितनी लंबी है?
    फिल्म लगभग 2 घंटे 45 मिनट लंबी है।
  10. क्या यह फिल्म शंकर की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है?
    नहीं, यह फिल्म उनकी पुरानी फिल्मों के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है।

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