वनवास मूवी रिव्यू : बदतमीज’ बेटों और बहुओं से दुखी पिता का नया ‘अवतार’

कलाकार
नाना पाटेकर, खुशबू सुंदर, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर, राजपाल यादव, अश्विनी कलसेकर, परितोष त्रिपाठी, मनीष वाधवा और राजेश शर्मा।
लेखक: अनिल शर्मा, सुनील सिरवैया और अमजद अली।
निर्देशक: अनिल शर्मा।
निर्माता: सुमन शर्मा।
रिलीज तारीख: 20 दिसंबर 2024।
रेटिंग: 3/5।
कहानी की पृष्ठभूमि
माता-पिता बड़ी मेहनत और उम्मीदों के साथ अपने बेटों का विवाह कराते हैं। शादी के लिए लड़कियों का चयन करते समय पिता अक्सर इस बात पर ध्यान देते हैं कि उनका समधी बनने वाला परिवार योग्य और प्रतिष्ठित हो। मां-बाप अपने बेटों को किसी न किसी बहाने शादी के लिए राजी कर ही लेते हैं। लेकिन शादी के बाद सभी बेटे और बहुएं आदर्श साबित नहीं होते। कभी बेटे स्वार्थी निकलते हैं तो कभी बहुएं चालाक। ऐसी कहानियां अक्सर हिंदी सिनेमा में अलग-अलग समय पर देखने को मिलती हैं।
फिल्म ‘अवतार’ में राजेश खन्ना ने जो संदेश दिया था, वही अमिताभ बच्चन ने ‘बागबान’ में दोहराया। ऐसी भावनात्मक कहानियों ने हमेशा दर्शकों के दिलों को छुआ है। अनिल शर्मा की नई फिल्म ‘वनवास’ भी इसी कड़ी की एक अनूठी प्रस्तुति है।
Table of Contents
अनिल शर्मा का सिनेमा: भावनाओं का अनोखा संगम
‘गदर 2’ से जबरदस्त सफलता पाने के बाद अनिल शर्मा ने एक बिल्कुल अलग राह चुनी। उनका करियर भावनात्मक कहानियों से शुरू हुआ था, जैसे कि ‘श्रद्धांजलि’। ‘हुकूमत’, ‘एलान ए जंग’, ‘तहलका’ और ‘गदर’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के बाद उन्होंने ‘अपने’ जैसी पारिवारिक फिल्म बनाई। अब ‘वनवास’ के जरिए वह दर्शकों को फिर से एक भावनात्मक सफर पर ले जा रहे हैं।
‘वनवास’ की कहानी नई नहीं है, लेकिन इसे नाना पाटेकर जैसे शानदार अभिनेता ने एक नई ऊंचाई दी है। उत्कर्ष शर्मा के अभिनय में भी सुधार नजर आता है। खासकर, उस दृश्य में जब वह एक अनाथ पिता को गोद लेते हैं, उनका अभिनय दर्शकों को भावुक कर देता है।
कहानी: एक चिड़चिड़े रिटायर्ड रईस की व्यथा
फिल्म ‘वनवास’ की कहानी शिमला के एक अमीर, रिटायर्ड पिता के इर्द-गिर्द घूमती है। पत्नी के निधन के बाद वह अकेलेपन और याददाश्त कमजोर होने की समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी चिड़चिड़ी स्वभाव के कारण उनके तीन बेटे और बहुएं उन्हें काशी छोड़ आते हैं। उनके पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि भी उनसे छीन लिए जाते हैं।
काशी में वह वीरू नाम के एक चोर से मिलते हैं, जो उनका बैग चुरा लेता है। लेकिन धीरे-धीरे वीरू को अपनी गलती का एहसास होता है और वह उस पिता को उनके बेटों से मिलाने की ठानता है। बेटों और बहुओं का व्यवहार दिल तोड़ने वाला है। केवल एक मंदबुद्धि बेटा ही है, जो दिल से पिता के प्रति समर्पित नजर आता है।
अनिल शर्मा का नया प्रयोग
‘गदर 2’ की शानदार सफलता के बाद, अनिल शर्मा ने एक भावनात्मक और अलग तरह की कहानी चुनकर जोखिम उठाया। नाना पाटेकर जैसे अनुभवी अभिनेता के साथ काम करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इस फिल्म में नाना का प्रदर्शन दिल छू लेने वाला है।
फिल्म में उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर, खुशबू सुंदर, राजपाल यादव और अश्विनी कलसेकर जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। विशेष रूप से परितोष त्रिपाठी, राजेश शर्मा और वीरेंद्र सक्सेना जैसे सहायक कलाकारों के अभिनय ने कहानी में गहराई जोड़ दी है।
कमजोर और मजबूत पक्ष
फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह दर्शकों की भावनाओं को झकझोरने में कामयाब होती है। क्लाइमेक्स तक आते-आते फिल्म कई भावुक पलों से गुजरती है, जो दर्शकों को बांधकर रखती है।
हालांकि, फिल्म की पटकथा और संवादों में कुछ नयापन की कमी महसूस होती है। कहानी पुरानी होने के बावजूद, नाना पाटेकर और उत्कर्ष शर्मा के बेहतरीन अभिनय ने इसे दर्शनीय बना दिया है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. फिल्म ‘वनवास’ किस तरह की कहानी पर आधारित है?
‘वनवास’ एक भावनात्मक फिल्म है, जो एक पिता और उनके बेटों के बीच के रिश्तों को दिखाती है। यह पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों के बदलते रूप को दर्शाती है।
2. फिल्म में नाना पाटेकर का किरदार कैसा है?
नाना पाटेकर ने एक चिड़चिड़े, अकेले और भावुक पिता का किरदार निभाया है। उनका प्रदर्शन बेहद शानदार है और वह दर्शकों को भावुक कर देते हैं।
3. उत्कर्ष शर्मा का अभिनय कैसा है?
उत्कर्ष शर्मा ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। फिल्म में कुछ दृश्यों में उनका अभिनय दिल छू लेता है।
4. क्या फिल्म की कहानी नई है?
फिल्म की कहानी नई नहीं है, लेकिन इसका प्रस्तुतिकरण और नाना पाटेकर का अभिनय इसे खास बनाते हैं।
5. क्या यह फिल्म परिवार के साथ देखी जा सकती है?
हां, यह एक पारिवारिक फिल्म है और इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है।
6. फिल्म ‘वनवास’ का मुख्य संदेश क्या है?
फिल्म रिश्तों की अहमियत और पारिवारिक मूल्यों को उजागर करती है। यह सिखाती है कि अपने बड़ों का सम्मान और उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
‘वनवास’ एक भावनात्मक और दिल को छूने वाली फिल्म है। यह रिश्तों की बदलती परिभाषा और एक पिता की पीड़ा को दिखाती है। नाना पाटेकर और उत्कर्ष शर्मा के दमदार अभिनय ने इसे एक यादगार फिल्म बना दिया है। हालांकि, इसकी कहानी और पटकथा में कुछ नयापन की कमी है, लेकिन भावनात्मक तत्व इसे एक बार जरूर देखने लायक बनाते हैं।